Hindi Shayari
मोहब्बत की तलाश में निकले हो
तुम अरे ओ पागल
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे
बर्बाद करना हो
आफताब की गर्मी से दरिया का पानी ख़त्म नहीं होता,
लैला के इंकार से मजनू का जज़्बा कम नहीं होता,
फ़िराक की मुसीबत हो या यार के वस्ल की लज़्ज़त,
किसी भी हाल में अश्कों का बहना काम नहीं होता
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ,
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ,
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आँसू,
हमारे आंसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
इसी अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं
वो नदियाँ नहीं आंसू थे मेरे,
जिस पर वो कश्ती चलाते रहे,
मंजिल मिले उन्हें यह चाहत थी मेरी,
इसलिए हम आंसू बहाते रहे
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ