अच्छाइयों का एक-एक तिनका चुन-चुनकर;
जीवन भवन का निर्माण होता है,
पर बुराई का एक हलका झोंका ही;
उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है
आप वही बने रहें;
जो आप हैं;
और वही कहें;
जैसा आप महसूस करते हैं;
क्योंकि जिन्हें बुरा लगता है;
उनकी कोई अहमियत नहीं;
और जिनकी अहमियत है,
वे बुरा नहीं मानेंगे ।
हमेशा बुराई ढूँढ़ने वाला व्यक्ति;
उस मक्खी की तरह होता है;
जो शुध्द और स्वच्छ जगह छोड़कर;
गंदगी में ही रमती है